Rp Yadav

हर आदमी के अंदर,
एक और आदमी रहता है ...

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ऐ दिन

ऐ दिन

ऐ दिन,
आज सुबह ही तो खिले थे, तुम एक बच्चे की तरह.
दो पहर में मिले थे, किसी युवा की तरह.
शाम ढलते देखा था तुझे, बुजुर्गों की तरह.

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Poetry
नज़रिया

नज़रिया

हर घटना को देखने और महसूस करने का अपना अपना नज़रिया होता है. इसी भाव को कविता के रूप में दिखाया गया है. एक संदेशात्मक लघु कविता.

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Poetry
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