सपनों की स्वतंत्रता ...

कुछ तो रिश्ता होगा उनसे,
जो अक्सर सपनों में आते है
कुछ बातें जो दिन में,
बयां नहीं होती
सपनों में आकर,
उन बातों को कह जाते है …
कुछ वजह तो होगा
उन तारों के जुड़ने का,
जो अपनो को सपनों में,
दूर से करीब लाते है,
जिन आँखों के सामने
हम ठहर नहीं पाते,
वो आकर मेरे कमरे में,
चुपके से बैठ जाते है …
कुछ लम्हें तो होंगीं
उनके भी जीवन में
जो इन सपनों को बनातीं है
उस पल की परिधी में रखी,
हमारी रिश्तों की तस्वीरें,
ख़्वाबों की दुनिया में
ज़िंदा हो जातीं है…
कुछ तरंगें तो होगीं
हम दोनों के बीच,
जो चेतन की भावों को
सपनों में ले जातीं है,
अतृप्त भावनाओं की,
परतंत्र अभिव्यक्तियाँ
सपनों की स्वतंत्रता में
व्यक्त हो जाती हैं …
★★★