Rp Yadav

हर आदमी के अंदर,
एक और आदमी रहता है ...

वह कौन है ?

एक जीवन, जवानी से बुढ़ापे की ओर कब अग्रसर हो  जाता है, पता ही नही चलता.  जन्मदिन के अवसर पर एक  प्रौढ़ महिला की अपनी टीनएजर तस्वीर से संवाद के कुछ अंश.

वह कौन है ?

वह कौन है

 

स्रोत : एक जीवन, जवानी से बुढ़ापे की ओर कब अग्रसर हो  जाता है, पता ही नही चलता.  जन्मदिन के अवसर पर एक  प्रौढ़ महिला की अपनी टीनएजर तस्वीर से संवाद के कुछ अंश… 

दिन महीने और वर्षों ने
मुझे अरसों से उलझाये रखा
इतनी जल्दी,
उस मोड़ से इस मोड़ तक
आ जाऊंगी मैं,
सफ़र के इस राज को
वक्त ने छुपाए रखा …

मेरे अलबम के परतों में
वर्षों पहले रखी एक तस्वीर
आज भी खूबसूरत है,
दिलकश और जवां है
आज, वह पूछती है मुझसे,
तुम कौन हो ?

उसके इशारों की हर भाषा,
मुझे तरसाती है, तड़पाती है
मैं आगे जाती हूँ
वो पीछे ले आती है
उसे पकड़ने की हर कोशिशें
नाक़ाम हो जाती है
मैं उसके सवालों से
नाराज़ नही, निरूत्तर हूँ
हम दोनों एक ही बिंदु थे कभी
आज वह दक्षिण है, मैं उत्तर हूँ …

आज कल हमारे बीच
संवादों का सिलसिला है
मैं मुश्किल से जीतती हूँ
आसानी से हारती हूँ
उसके परिहास से दिल अब बैचैन है
हालांकि की वह तस्वीर
स्थिर, खामोश और मौन है
मेरे दोस्तों,
पहिचानो तो सही
वह कौन है…

                  ***

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