Rp Yadav

हर आदमी के अंदर,
एक और आदमी रहता है ...

थोड़ा पीछे रहा करो

कुछ लोग बचपन और जवानी में ही वैराग्य की ओर मुड़ जाते हैं. उन्हें हिदायत देती यह कविता कहती है " अभी, उम्र से आगे क्यों हो , थोड़ा पीछे रहा करो. "

थोड़ा पीछे रहा करो

थोड़ा पीछे रहा करो

 

उम्र से आगे क्यों हो,
थोड़ा पीछे रहा करो
बातें भगवान की नही,
इंसान की किया करो …

तुम्हारे साथ,
एक शरीर है
एक मन है, एक दिल हैं
कुछ कामनाये हैं,
कुछ कल्पनाएं है
अभी उनकी सुना करो
इरादे रुख़सत की नही,
रुकने की किया करो
बातें भगवान की नही
इंसान की किया करो …

मैं डरता हूँ,
तुम्हारे संवादों से
वैराग्य वाली बातों से
तुम्हारे जूनून में आग और,
विनम्रता में पानी है
अभी जवां हो तुम
बुजुर्गों वाली बात न किया करो
लोग उम्र को छुपाते है
तुम इसे आगे न किया करो
अभी मंदिर की बातें छोड़ो
महफ़िल से जुड़ा करो
बातें भगवान की नही
इंसान की किया करो …

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