Rp Yadav

हर आदमी के अंदर,
एक और आदमी रहता है ...

वह समझता है, मैं सो रही हूँ …

बंद आँखों और बेतरतीब बदन देखकर, वह समझता है मैं सो रही  हूँ.

वह समझता है, मैं सो रही हूँ.

वह समझता है

हर रात, 
सोने से पहले,
कोई मिलता है मुझसे
और,
अनगिनत सवालों का
एक सूची थमा जाता है.
सपनें,
उन्ही सूचियों के वस्त्र पहनकर
रात भर डराते हैं
दर्द से जगाते हैं,
बंद आँखों और बेतरतीब बदन देखकर
वह समझता है
मैं सो रही  हूँ…
          …

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top