Rp Yadav

हर आदमी के अंदर,
एक और आदमी रहता है ...

मैं खुद को तुमसे जोड़ लूँगी

अगर बात नही कर सकते तो कोई बात नहीं, कुछ शब्द छोड़ जाओ, मैं उन शब्दों से, बात कर लूँगी.

मैं खुद को तुमसे जोड़ लूँगी ...

मैं खुद को तुमसे जोड़ लूँगी

अगर बात नही कर सकते

तो कुछ शब्द छोड़ जाओ

मैं उन शब्दों से, 

अपने हिस्से का अर्थ निकाल लूँगी

गर शब्दों ने साथ नही दिया तो

अक्षरों से अर्थ निकाल लूँगी,

गर अक्षरों ने मुह मोड़ लिया तो

उनके आकृति से अर्थ निकाल लूँगी,

बात नही कर सकते, कोई बात नही

अपनी खामोशी छोड़ जाओ,

उन खामोशियों से अर्थ निकाल लूँगी

मैं खुद को तुमसे जोड़  लूँगी…

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