Rp Yadav

हर आदमी के अंदर,
एक और आदमी रहता है ...

मेरा फ़िसल जाना

मेरा फ़िसल जाना, उस बारिश का करतूत था. हवा का रूख, जमी की ढलान और भीगी सड़कें, सब एक साथ थे. बरसात पर एक रोमांचक कविता .

मेरा फ़िसल जाना ...

मेरा फ़िसल जाना

 

 

मेरा फ़िसल जाना,
उस बारिश का करतूत था
हवा का ऱुख, जमी की ढलान
और भीगीं सड़कें,
सब एक साथ थे,
उनके आगोस से निकल पाना
नियंत्रण से बाहर और पहुंच से दूर था
मेरा फ़िसल जाना,
कोई इत्तेफाक़ नही,
उस बारिश का करतूत था…
             ***

 

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