Rp Yadav

हर आदमी के अंदर,
एक और आदमी रहता है ...

नज़रिया

हर घटना को देखने और महसूस करने का अपना अपना नज़रिया होता है. इसी भाव को कविता के रूप में दिखाया गया है. एक संदेशात्मक लघु कविता.

नज़रिया ...

नज़रिया
 

शायद,
आकलन की कमी थी,
वहां बिखरा था बहुत कुछ
पर दिख न सका,
यह नजरों का नही
नज़रिया का दोष था
किसी दोस्त ने कहा
कुछ चीजें नजरों से नही
नज़रिया से देखा करो,
मैंने फिर देखा,
दिन का कोना
जो कल रात तक कोरा था,
आज सुबह,
वह न कोरा था न अधूरा था …

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