जिंदगी के पृष्ट

जिन्दगी एक किताब है
जिसके पृष्ठों की संख्या निश्चित है,
हर दिन एक पृष्ट है
उसी किताब का,
जो सुबह: खुलता है और
रात को बंद हो जाता है
कभी पूरा कभी अधूरा.
पुन: दूसरे दिन,
एक नया पृष्ठ खुलता है
फिर वही क्रम चलता है …
गुजर चुकी जिंदगी के
तमाम पृष्ट कोरे है,
कुछ पूर्ण, कुछ अधूरे हैं
कुछ बदसूरत, कुछ खुबसूरत है,
कुछ निरर्थक, कुछ संगीन हैं,
कुछ सफेद, कुछ रंगीन हैं
बेअर्थ पृष्ठों की संख्या मोटी है
खूबसूरत पृष्ठों की संख्या छोटी है….
कौन सी जिन्दगी कितने पृष्ठों की है
यह एक अनुत्तरित प्रश्न है,
फिर भी हर रोज,
एक नया पृष्ट खोल रहे है
सिर्फ तारीख ही तो लिख रहे है,
बाकी सब छोड़ रहे है,
इस भ्रम में कि,
इनकी संख्या तो अनंत है,
एक और जिन्दगी तोड़ रहे है …
★★★