Rp Yadav

हर आदमी के अंदर,
एक और आदमी रहता है ...

कोई होता है मेरे आस-पास

अक्सर, कोई होता है मेरे आस- पास पर दिखाई नहीं देता, खिचता है अपनी तरफ वह किसी अदृश्य डोर से, बदल जाती हैं दिशाएं न जाने किस मोड़ से..

कोई होता है मेरे आस-पास...

कोई होता है मेरे आस-पास
 

अक्सर,
कोई होता है मेरे आस- पास
पर दिखाई नहीं देता,
खिचता है अपनी तरफ वह
किसी अदृश्य डोर से,
बदल जाती हैं दिशाएं
न जाने किस मोड़ से,
आवाज़ आती है उसकी
कुछ कहने की
इस शहर के शोर में
वो सुनाई नहीं देता,
अक्सर,
कोई होता है मेरे आस-पास
पर दिखाई नहीं देता….

कुछ अधूरा सा लगता है
हर वो लम्हा जिसमे
उसका आभास  न हो,
कुछ खाली सा लगता है
हर वो महफ़िल जिसमे
उसकी आग़ाज न हो,
बेअर्थ हो जाती है सारी तैयारियाँ
जिसमे उनकी फरमाईस न हो,
हुआ करता है
कुछ संवाद हमारे बीच
नाज़ुक रिस्तो को लेकर,
समाधान किसी मोड़ पर
दिखाई नहीं देता,
अक्सर,
कोई होता है मेरे आस-पास
पर दिखाई नहीं देता…

       ★★★

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