Rp Yadav

हर आदमी के अंदर,
एक और आदमी रहता है ...

कुछ वज़ह चाहिए

सुबह का खूबसूरत सूरज, रात में किन रास्तों से गुजरता है, उस सफ़र का एक झलक भी चाहिए, आप से बात करने के लिए, जिरह नही, कुछ वज़ह चाहिए ..

कुछ वज़ह चाहिए...

कुछ वज़ह चाहिए

यूं ही नही होती है 
आप से ये बातें
सोचना पड़ता है
कब करे, क्यों करे, कैसे करें
शुरू करे या न करे
कहाँ से शुरू और कहा अंत करे
अभी इनकार करें या इकरार करें
कैसे करें कुछ नयी बातें …

बातों बातों में
कुछ जुड़ जाता है
कुछ छुट जाता है ,
कुछ बातों को बल मिलता है
कुछ विश्वासों को समर्थन,
कुछ धारणाएं टूट जाती है
बातों का सिलसिला
चाहे जितनी लंबी हो
हर दफा,
एक अहम बात छूट जाती है ….

बातें करनी है तो, एक विषय चाहिए
उस विषय से निकलते प्रश्नों के
सटीक उत्तर भी चाहिए,
साइड इफ़ेक्ट से बचने का
कुछ दवा भी चाहिए,
दिन समय और
मौसम का मिज़ाज भी चाहिए
सुबह का खूबसूरत सूरज
रात में किन रास्तों से गुजरता है
उस सफ़र का एक,
झलक भी चाहिए,
आप से बात करने के लिए
जिरह नही,
कुछ वज़ह चाहिए…
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