Rp Yadav

हर आदमी के अंदर,
एक और आदमी रहता है ...

एक भ्रम है या सच्चाई

यह सन्नाटा, एक भ्रम है या सच्चाई. बहुत दिन हुआ कोई आवाज नही आयी. प्रेम संबंधों में लम्बी जुदाई आधारित कविता.

एक भ्रम है या सच्चाई

एक भ्रम है या सच्चाई

 

बहुत दिन हुआ,
कोई आवाज़ नही आयी
तुम चुप हो या मैं चुप हूँ
या, मसरूफ़ियत के बहाने
दो बिंदुओं के बीच
कोई तीसरी बिंदु उभर आयी 
बहुत दिन हुआ
कोई आवाज नही आयी…

डर लगता है जब,
बहुत सन्नाटा होता है
ख्याल ऊंचे नीचे आते है  
हर अजनबी आहट और आवाज,
तुम से ही जुड़ जातें हैं
मैं जुड़ा हूं अबतक
या टूट चुका हूं, कैसे परखे ?
यह सन्नाटा,
एक भ्रम है या सच्चाई
बहुत दिन हुआ
कोई आवाज नही आयी…

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